Bhartiya Paridrashya Mai Mahilaon Ke Kalyan Aur Surksha Ka Samvaidhanik Drastikon

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महिला केवल सृष्टि की रचना ही नही करती है बल्कि वह वच्चे को जन्म देने के साथ ही साथ उसके स्वास्थ्य और शिक्षा आदि पर भी ध्यान देती है। वह बच्चे का उचित रूप से पालन करती है। और एक देश के भविष्य का निर्माण करती है। लिंग के आधार पर न्याय (Gender justice) सभी से संबधित है इसके महत्व को समझते हुये संयुक्त राष्ट्र द्वारा कई विश्व सम्मेलन आयोजित किए गए। महासभा द्वारा वर्ष 1979 में महिलाओं के विरूद्ध सभी प्रकार के भेदभावों की समाप्ति पर अभिसमय (Convention on the all forms of discrimination against women) अंगीकर किया तथा वर्ष 1981 में लागू हुआ भारत में भी इसको 1993 में अनुसमर्थित किया। वर्ष 2001 को महिला सशक्तिकरण वर्ष (women’s empowerment year) के रूप में मनाया जाता हैं केवल इतना ही नही महिला सशक्तिकरण वर्ष मनाये जाने के उपंरात भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति महामहीम श्री के.आर. नारायणन ने गणतंत्रत दिवस के अतिंम भाषण में महिलाओं के विरूद्ध अपराध बढ़ने पर अत्यधिक चिंता व्यक्त की थी। महिलाओं के प्राचीन काल से वर्तमान तक समाज मे अपनी महत्पूर्ण भूमिका का निर्वाह किया है। महिला ने हर कदम पर सफल रहते हुये समाज की उन्नति को साकार रूप दिया है, इतना ही नहीं, बल्कि महान व्यक्तियों की सफलता मे भी महिलाओं का विशेष योगदान रहा है, जैसे महाकवि कालिदास के पीछे विद्वोत्मा, तुलसीदास के पीछे उनकी पत्नी, महात्मा गांधी के जीवन मे उनकी मॉ पुतली बाई इत्यादि की प्रेरणा शामिल थी। महिला गृहस्थ जीवन की आधार शिला है एक महिला परिवार मे कई अहम भूमिकाओं का निर्वहन करती है कही वह मॉ के रूप में कही वह पत्नी के रूप में वही एक बहन भी है एक आर्दश मित्र भी और एक सेविका बन कर भी वह निस्वार्थ भाव से सेवा करती है।

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References

डॉ. ममतामिश्रा एवं एस. के बाधवाफमीज्यूसिपृष्ठ सं. 1

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Published

30-07-2021

How to Cite

Vandana Rahul. (2021). Bhartiya Paridrashya Mai Mahilaon Ke Kalyan Aur Surksha Ka Samvaidhanik Drastikon. Jai Maa Saraswati Gyandayini An International Multidisciplinary E-Journal, 1(I), 56–61. Retrieved from http://jmsjournals.in/index.php/jmsg/article/view/16

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