Bharat Mai Mahilaon Keviruddh Parivarik Hinsa : Ek Samajik Addhyan

Authors

  • Mrs. Asha Gautam LL.M. Sarve dharam Law College, Jiwaji University image/svg+xml

Abstract

संस्कृत की मह धातु तथा मही में इलच प्रत्यय से मिलकर बना है। स्त्री के लिये हिंदी का सर्वाधिक प्रचलित शब्द महिला। कुछ विद्वान इसे मही + लास्य से मिलाकर बना शब्द मानते है। मही शब्द मह धातु से बना है। जिससे गुरूता का भाव है। महिला शब्द स्त्री की महिमा को दर्शाता है। इसी शब्द मे उस युग की छाया नजर आती है। जब पृथ्वी पर मातृ सत्तात्मक व्यवस्था थी महानतम, महान महीयसी, महा, महतर जैसे तमाम प्रधानता स्थापित करने वाले भावों को समेटे हुऐ शब्दों का जन्म भी इसी मह धातु से हुआ। जिससे महिला शब्द बना है। मह में सम्मान, आदर, महत्ता, श्रद्धा व महत्वपूर्ण समझना जैसे भाव है। जाहिर है मह से बने महिला शब्द में यही सारे भाव शामिल है। आज के युग में महिलाओं का बहुत महत्व है। परमात्मा की घोषणा है कि जब मैं किसी आत्मा को स्त्री की देह देता हूँ, तो यह अपने आप में सबसे बड़ा सम्मान हो जाता है। भारत ने शरीर मन और आत्मा के विचार को स्वीकार किया है। इसलिए शरीर के रूप में सारी धरती पर जो मान भारत में नारी देह को दिया गया है। ऐसे उदाहरण कम मिलते हैं मातृ-शक्ति को ईश्वर ने सृजन का अधिकार दिया है।एक उदाहरण आज भी भारतीय संस्कृति को धन्य करता है। शिवाजी के जीवन में अनेक महत्वपूर्ण घटनाऐं हुई थी। लेकिन मातृ शक्ति के मान की एक घटना हमें आज भी प्रेरित करती है। शिवाजी के सैनिक मुगल बादशाहों को पराजित करने के बाद भरी सभा में धन सम्पत्ति के अलावा एक पालकी भी भेंट की। उसमें एक बहुत सुंदर मुगल स्त्री उतरी और डरते, काँपते खम्भे के पास जाकर खड़ी हो गई। सोन, देव ने शिवाजी से कहा आपके भोगने के लिऐ वह एक और भेंट है। शिवाजी सांवले थे, संुदर नहीं दिखते थे। क्रोध में काँपते हुऐ शिवाजी ने सोन देव से कहा था। पुरूष तीन तीर्थ पार करता है। तब स्त्री को भोगने के योग्य होता है। माँ बहन और भाभी के रूप में ये तीन तीर्थ होते हैं। मालवी कवि मोहन सोनी से मालवी भाषा में इस पर बड़ी संुदर रचना लिखी है। शिवाजी ने उस स्त्री को देखा और कहा था। भारत की नारी, तुझे डरने की जरूरत नहीं है। तेरा रूप और सौंदर्य देखकर शिवाजी के मन में बस एक ही विचार उठा है कि यदि तेरी जैसी मेरी माँ होती तो आज शिवा भी संुदर होता है और तेरे आंगन में खेलता। इन पंक्तियों को सुनकर उस औरत की आँख से आँसू बह निकले और शिवाजी की माँ जीजा बाई ने कहा था। मैंने तुझे शिक्षा दी बेटे आज तो तू उस परीक्षा में उत्तीर्ण हुआ। इस एक घटना से यह पता लगता है कि भारत ने औरत के सिर्फ शरीर नहीं माना उसकी अस्मिता को आत्मा से जोड़कर अपने मनुष्य होने का मान दिया है। इसलिऐ मातृ-शक्ति भारत की धरती पर बड़े भाव से पूजी गई और पूजी जानी चाहिए।

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Published

30-07-2021

How to Cite

Mrs. Asha Gautam. (2021). Bharat Mai Mahilaon Keviruddh Parivarik Hinsa : Ek Samajik Addhyan. Jai Maa Saraswati Gyandayini An International Multidisciplinary E-Journal, 1(I), 35–55. Retrieved from http://jmsjournals.in/index.php/jmsg/article/view/15

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